सियासत
Conspiracy |
ज़िन्दगी में हर पल ,
कुछ छोटी सी बातें थी , कुछ छोटी छोटी रातें भी थीं ;
उन बातो मे इक नई शुरूआत थी ,
वो हर रात जो इक सुबह के साथ थी।
Actually its my frustration that I effort to string in words and pictures . Because I don't intend to be violent physically against system.
Freedom of speech |
नींद नहीं आती है अब रातों में ,
जाने कैसे वो चैन से सो जाते है ,
वो सियासत के लुटे हुए सुल्तान ,
मालूम नहीं वो किस शोर में खो जाते है ।
जूझ रही तृष्णाओं के बीच ये वतन भी हमारा है ,
सरहदो पे शहिद हुए वो वीर क्या गवारा है ,
ना तेरी होगी , ना मेरी होगी
वतन कोई क्या कभी किसी के धौंस टूट पाया है ,
ना जाने कितनें ख्वाइशें पलते हर रोज नई आँखों में ,
मालूम नहीं किसके लिए फिर से नया सवेरा होगा ।
क्या काल के चक्र से कोई भी निकल बच पाया है ,
चले जा रहे एक टुकड़े को फतह करने वो लोग ,
जिनके आँगन में खुद अँधेरा घना छाया है ।
है गर आग सीने में ,
तो देखें तेरे कर्मो का सौर्य कितना है ,
जिश जन-मत कि खामोशी पे तुम इतना झूम रहे हो ,
आंदाज नहीं तुम्हे उस खामोशी मे शोर है ।
वो जहाँ जिसके लिए तुम मदहोश हो इतना ,
गर वो मिल भी जाये तो क्या ।
ऐ सियासत के लुटे हुए सुल्तान ,
तेरी कमी तो आज भी है ,
शयद तुम्हे महसूस नहीं होती ।
वो बचपन जब तुम तिरंगे के सामने सजदा किया करते थे ,
वो मिट्टी जिसकी गोद मे कभी तुम सोया करते थे ,
वो आज भी वही है बस बदले तो हम है ,
'हम ' बनने की चाह मे बस हम _ हम नहीं रहे ।
अखंड अमर कहीं से तो घूरती होगी ,
ना जाने हम नादान तुच्छ को देख क्या सोचती होगी ,
कुकर्मो जो इतने लिप्त है ,
नियति उनको देख न जाने क्या सोचती होगी ।
Power in one hand |
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Have a great time ahead!
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